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श्याम जब भी करीब आते हैं / रंजना वर्मा

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श्याम जब भी करीब आते हैं
दीप खुशियों के जगमगाते हैं

कौन कहता कि वो नहीं सुनते
सब उन्हीं को विरद सुनाते हैं

साँवरे की सुखद मनोहर छवि
हम ही' दीवार पर सजाते हैं

नाम जप की अमृत सुधा पी कर
तोष हम जनम जनम पाते हैं

याद करते हैं' कष्ट पड़ने पर
और सुख हो तो' भूल जाते हैं

मोह संसार का नहीं होता
श्याम को भक्त वही भाते हैं

छोड़ देते जगत के' रिश्तों को
श्याम के लोक वही जाते हैं