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सुनत सलौनी बात यह / शृंगार-लतिका / द्विज
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दोहा
(वसंतागम सुन दर्शनार्थ उत्सुक होने का वर्णन)
सुनत सलौनी बात यह, तन-मन सबै भुलाइ ।
ऋतु-पति के दरसन हितै, बाढ़्यौ उर मैं चाइ ॥८॥