भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[आज जागी क्यों मर्मर-ध्वनि ! / रवीन्द्रनाथ ठाकुर]]
* [[किसका आघात हुआ फिर मेरे द्वार / रवीन्द्रनाथ ठाकुर]]
* [[आज बादल-गगन, गोधूली -लगन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर]]
* [[मैंने पाया उसे बार-बार / रवीन्द्रनाथ ठाकुर]]
* [[रखो मत अँधेरे में दो मुझे निरखने / रवीन्द्रनाथ ठाकुर]]