भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चिथड़े / हरकीरत हकीर

816 bytes added, 07:50, 26 अक्टूबर 2013
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} {{KKCatNazm}} <poem>कितने ही टुक...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरकीरत हकीर
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>कितने ही टुकड़े हैं
कागचों के …
और कोई अधूरी सी नज़्म
जिस्म के अन्दर
कितनी ही कतरने हैं
अंगों की
किसी में सिंदूर है …
किसी में चूड़ियाँ
और किसी में बिछुए ….
इनका दाह संस्कार नहीं हुआ अभी
मर तो ये उसी दिन गए थे
जिस दिन तूने
इनकी जिल्त उतार
इन्हें चिथड़े -चिथड़े किया था ….
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits