भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
आइए, आ जाइए, आ जाइए ।
फिर वही दानिश्ता <ref>जान-बूझकर</ref> ठोकर खाइए,
फिर मिरे आग़ोश में गिर जाइए ।
जी में आता है यहीं मर जाइए ।
</poem>
 
{{KKMeaning}}
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,388
edits