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'''(यह गजल प्रेम साहिल के नाम)'''
देखना है नाउमीदी और क्या दिखलाए है॥
शोरो-शर से भर गए यारो ज़मीनो-आस्माँ
अब तो ये मंज़र भी आंखों आँखों से न देखा जाए है।
ऐसे वीराने में फिर एक बार आएगी बहार