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बेटी बेटे / शैलेन्द्र

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साँस साँस का हिसाब ले रही है जिन्दगीज़िन्दगी
और बस दिलासे ही दे रही है जिन्दगीज़िन्दगी
रोटियों के ख़्वाब से चल रहा है काम
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