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मेरी दौलत, मेरी माणिक-मोती, मेरी रानी, मेरी बेग़म ।
वही है जिसने मुझे अपने कुल फ़त्हयाल आगोश में भरकर
बसैयाँ लीं, और अपनी बाँहों की दरमियानी गर्मजोशी से मेरे दिल की परवरिश की ।की।
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल'''
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