भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मेरी दौलत, मेरी माणिक-मोती, मेरी रानी, मेरी बेग़म ।
वही है जिसने मुझे अपने कुल फ़त्हयाल आगोश में भरकर
बसैयाँ लीं, और अपनी बाँहों की दरमियानी गर्मजोशी से मेरे दिल की परवरिश की ।की।
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल'''
</poem>
{{KKMeaning}}
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,690
edits