भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: सुबह की तरह एक जानी-पहचानी नवीनता में चकित किया था मुझे। तुमने मु...
सुबह की तरह
एक जानी-पहचानी नवीनता में
चकित किया था मुझे।

तुमने मुझमें
काकली-सी
कोलाहल पूर्ण मधुरता भरकर
मुग्‍ध किया था।

फिर चंद्रिका-सी
देह में शीतल उष्‍णता भर कर
तुमने मुझे उन्‍मत्‍त किया था।
765
edits