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दोहराया अनुभव / अवतार एनगिल

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<poem>नंगे पांव चली दूधिया नदी ने
कर ली
आग से दोस्ती

धृत सुगंध में
लपटों सखियों का नाच
जलना : तत्वों का रूप पलायन
तलाश : गति के अर्थ की
बोझिल पाँव : ख़्यालों के

ख़्यालों के बिखरे टुकड़ों में
आलिंगनों की एकाग्र समग्रता
उन्मादी आंखें
सम्पूर्ण अधूरापन
दे जाते हैं दोनों को
मिट्टी का इक बाबा
चिर आकांक्षित
दोहराया अनुभव।
</poem>
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