गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अज्ञेय की सेलमा बनाम बाबू सलीम / अवतार एनगिल
18 bytes added
,
12:28, 7 नवम्बर 2009
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>हर रोज़
बेपनाह भीड़ इस अजनबी द्वीप पर
मरती है,जीती है
पेट के न भरने वाले घाव ने
क्यों भूत को आदमी बना दिया है?
और, क्यों आदमी को भूत।</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,333
edits