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|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>हर रोज़
बेपनाह भीड़ इस अजनबी द्वीप पर
मरती है,जीती है
पेट के न भरने वाले घाव ने
क्यों भूत को आदमी बना दिया है?
और, क्यों आदमी को भूत।</poem>