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+ | == मोरियो पगा कानी देख गे रोवै == | ||
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+ | क्यु जी सोरो करै, | ||
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+ | दुसरा गै घर री बाता सुण गै, | ||
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+ | जकी बी घर मॆ हॊवण लागरी है | ||
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+ | तु भीत रै चिप्यॊडॊ इनै, | ||
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+ | बॊ ही तॊ बिनॆ चिप्यॊडॊ खड्यॊ है, | ||
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+ | क्यु नी सॊचै तु कै ..भीता कै भी कान हॊवॆ, | ||
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+ | आज तु सुणसी | ||
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+ | काल बॊ तॆरी सुणसी, | ||
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+ | क्यु सरमा मरै, | ||
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+ | मॊरीयॊ पगा कानी दॆख गॆ रॊवै , |
17:59, 2 अक्टूबर 2011 का अवतरण
प्रिय महावीर जोशी पूलासर, कविता कोश पर आपका स्वागत है! कविता कोश हिन्दी काव्य को अंतरजाल पर स्थापित करने का एक स्वयंसेवी प्रयास है। इस कोश को आप कैसे प्रयोग कर सकते हैं और इसकी वृद्धि में आप किस तरह योगदान दे सकते हैं इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सूचनायें नीचे दी जा रही हैं। इन्हे कृपया ध्यानपूर्वक पढ़े। |
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मोरियो पगा कानी देख गे रोवै
क्यु जी सोरो करै,
दुसरा गै घर री बाता सुण गै,
जकी बी घर मॆ हॊवण लागरी है
बा ही तॊ तॆरॆ घर मॆ हॊवॆ,
तु भीत रै चिप्यॊडॊ इनै,
बॊ ही तॊ बिनॆ चिप्यॊडॊ खड्यॊ है,
क्यु नी सॊचै तु कै ..भीता कै भी कान हॊवॆ,
आज तु सुणसी
काल बॊ तॆरी सुणसी,
क्यु सरमा मरै,
मॊरीयॊ पगा कानी दॆख गॆ रॊवै ,