भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छोटे से मोरे मदन गोपाल (लोरी) / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
{{
+
{{KKLokRachna
KKLokRachna
+
|रचनाकार=अज्ञात
|रचनाकार
+
}}
 +
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 +
|भाषा=बुन्देली
 
}}
 
}}
  

18:27, 13 जुलाई 2008 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सो जा बारे वीर,

वीर की बलैयाँ ले जा यमुना के तीर

ताती-ताती पुड़ी बनाई

ओई में डारो घी

पी ले मोरे बारे भइया

मोरो जुड़ाय जाए जी

सो जा बारे वीर

बीर की बलैयाँ ले जा जमुना के तीर

एक कटोरा दूध जमाओ

और बनाई खीर

ले ले मोरे बारे भइया

मोरो जुड़ाय जाए जी

सो जा बारे बीर

बीर की बलैयाँ ले जा जमुना के तीर

बरा पे डारो पालना

पीपर पर डारी डोर

सो जा मोरे बारे भइया

मैं लाऊँ गगरिया बोर

सो जा बारे वीर,

वीर की बलैयाँ ले जा यमुना के तीर

छोटी-छोटी गैयाँ

छोटे-छोटे ग्वाल

छोटे से मोरे मदन गोपाल

कहाँ गईं गैयाँ, कहाँ गए ग्वाल
कहाँ गए मोरे मदन गोपाल ।
हारे गईं गैयाँ, पहाड़ गए ग्वाल
खेलन गए मोरे मदन गोपाल

का खाऎँ गैयाँ ? का खाएँ ग्वाल
का खाएँ मोरे मदन गोपाल ?
घास खाएँ गैयाँ, दूध पिएँ ग्वाल
माखन खाएँ मोरे मदन गोपाल ।

तू तो सो जा बारे वीर,

वीर की बलैयाँ ले जा यमुना के तीर