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*[[जब एहसास की झील में हमने दर्द का कंकर फेंका है / ज़ाहिद अबरोल]] | *[[जब एहसास की झील में हमने दर्द का कंकर फेंका है / ज़ाहिद अबरोल]] | ||
*[[सहरा से जंगल में आकर छाँव में घुलती जाए धूप / ज़ाहिद अबरोल]] | *[[सहरा से जंगल में आकर छाँव में घुलती जाए धूप / ज़ाहिद अबरोल]] | ||
+ | *[[सूरत-ए-शम'अ जले हैं लेकिन नाम मिला परवानों का / ज़ाहिद अबरोल]] | ||
+ | *[[शोर की बाहों में गीतों का जिस्म पिघलते देखा है / ज़ाहिद अबरोल]] |
02:47, 18 अक्टूबर 2015 का अवतरण
दरिया दरिया-साहिल साहिल
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रचनाकार | ज़ाहिद अबरोल |
---|---|
प्रकाशक | सभ्या प्रकाशन, डबल्यू एच,इंडस्ट्रिअल एरिया फ़ेज़-1,मायापुरी,नई दिल्ली-110064 |
वर्ष | 2014 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़ल संग्रह |
विधा | |
पृष्ठ | 156 |
ISBN | 978-93-83785-11-7 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- हम्द / ज़ाहिद अबरोल
- दरिया को पागल करने को अक्स-ए-समुन्दर काफ़ी था / ज़ाहिद अबरोल
- जब एहसास की झील में हमने दर्द का कंकर फेंका है / ज़ाहिद अबरोल
- सहरा से जंगल में आकर छाँव में घुलती जाए धूप / ज़ाहिद अबरोल
- सूरत-ए-शम'अ जले हैं लेकिन नाम मिला परवानों का / ज़ाहिद अबरोल
- शोर की बाहों में गीतों का जिस्म पिघलते देखा है / ज़ाहिद अबरोल