भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मंगलाचरण / रस प्रबोध / रसलीन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसलीन |अनुवादक= |संग्रह=रस प्रबोध /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
छो (Sharda suman ने मंगलाचरण / भाग 1 / रसलीन पर पुनर्निर्देश छोड़े बिना उसे मंगलाचरण / रस प्रबोध / रसलीन पर स्...)
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
(कोई अंतर नहीं)

01:53, 22 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

॥श्री गणेशाय नमः॥

मंगलाचरण

अलह नाम छबि देत यौं अंथन के सिर आइ।
ज्यों राजन के मुकुट तें अति सोभा सरसाइ॥1॥
अलख अनादि अनंत नित पावन प्रभु करतार।
जग को सिरजनहार अरु दाता सुखद अपार॥2॥
रम्यौ सबनि मैं अरु रह्यौ न्यारो आपु बनाइ।
याते चकित भये सबै लह्यौ न काहू जाइ॥3॥
जब काहू नहिं लहि पर्यौ कीन्हौं कोटि विचार।
तब याही गुन ते धर्‌यौ अलह नाम संसार॥4॥