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"कवि कुल कथन / रस प्रबोध / रसलीन" के अवतरणों में अंतर

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कवि कुल कथन

प्रगट हुसेनी बासती बंस जो सकल जहान।
तामैं सैद अब्दुल फरह आए मधि हिंदुवान॥12॥
तिनके अबुल फरास सुत जग जानत यह बात।
पुनि सैयद अबुलू फरह तिनके सुत अवदात॥13॥
पुनि सैयद सु हुसेन सुन तिनके सबल सरूप।
तिनके सुत सैयद अली विदित भए जग भूप॥14॥
सैयद महमद प्रगट भे जिनके सुत बलवान।
बिलग्राम श्रीनगर मैं जिन कीन्हौं निज थान॥15॥
तिनके सैयद उमर भे तिनसुत सैद हुसेन।
तिनकै सैद नसीरुद्दीन भे यह सब जानत अैन॥16॥
पुनि भे सैद हुसेन अरु पुनि सैयद सालार।
लूतुफूलाह लाधा भये तिनके बुद्धि अपार॥17॥
पुनि सैयद दारन भए खुदादादि तिहि नाम।
पुनि सैयद महमूद जो भए सिद्ध अभिराम॥18॥
सैद खान मुहमद भए तिनके सुत जग आइ।
चारु अबुल कासिम भए तिनके अति सुखदाइ॥19॥
सैद अबुल कासिम भये पुनि सैयद सुर ग्यान।
तिनके सैद हमीर सुत जानत सकल जहान॥20॥
पुनि सैयद बाकर भये तिनके तनुज प्रसिद्धि।
सब लोगन की सिद्धता जिनकी प्रगटी रिद्धि॥21॥
भयौ गुलाम नबी प्रगट तिनको सुत जग आइ।
नाम करौ ‘रसलीन’ जिन कविताई में जाइ॥22॥