भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मख़्मूर सईदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} == मख़्मूर सईदी की रचनाएँ== {{KKParichay |चित्र= |नाम=सुल्तान मौहम्मद खाँ |उपन...) |
|||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
|जन्म=31 दिसम्बर 1934 | |जन्म=31 दिसम्बर 1934 | ||
|जन्मस्थान=टौंक, राजस्थान | |जन्मस्थान=टौंक, राजस्थान | ||
− | |कृतियाँ=गुफ़्तनी,सियाह बर सफ़ेद, आवाज़ का जिस्म, सबरंग, आते-जाते लम्हों की सदा, बाँस के जंगलों से गुज़रती हवा, पेड़ गिरता हुआ, दीवारो-दर के दर्मियाँ (सभी कविता संग्रह) | + | |कृतियाँ=गुफ़्तनी, सियाह बर सफ़ेद, आवाज़ का जिस्म, सबरंग, आते-जाते लम्हों की सदा, बाँस के जंगलों से गुज़रती हवा, पेड़ गिरता हुआ, दीवारो-दर के दर्मियाँ (सभी कविता संग्रह) |
|विविध=उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, दिल्ली और राजस्थान उर्दू अकादमियों के पुरस्कार। | |विविध=उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, दिल्ली और राजस्थान उर्दू अकादमियों के पुरस्कार। | ||
− | | | + | |अंग्रेज़ीनाम=Makhmur Saidi, Makhmoor Saidee |
|जीवनी=[[मख़्मूर सईदी / परिचय]] | |जीवनी=[[मख़्मूर सईदी / परिचय]] | ||
}} | }} |
15:15, 27 जुलाई 2008 का अवतरण
मख़्मूर सईदी की रचनाएँ
सुल्तान मौहम्मद खाँ
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 31 दिसम्बर 1934 |
---|---|
उपनाम | मख़्मूर सईदी |
जन्म स्थान | टौंक, राजस्थान |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
गुफ़्तनी, सियाह बर सफ़ेद, आवाज़ का जिस्म, सबरंग, आते-जाते लम्हों की सदा, बाँस के जंगलों से गुज़रती हवा, पेड़ गिरता हुआ, दीवारो-दर के दर्मियाँ (सभी कविता संग्रह) | |
विविध | |
उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, दिल्ली और राजस्थान उर्दू अकादमियों के पुरस्कार। | |
जीवन परिचय | |
मख़्मूर सईदी / परिचय |
ग़ज़लें
- अपना यही है सहन यही सायबान है / मख़्मूर सईदी
- वो हमसे ख़फ़ा था मगर इतना भी नहीं था / मख़्मूर सईदी
- भीड़ में है मगर अकेला है / मख़्मूर सईदी
- सामने ग़म की रहगुज़र आई / मख़्मूर सईदी
- चल पड़े हैं तो कहीं जाकर ठहरना होगा / मख़्मूर सईदी
- पार करना है नदी को तो उतर पानी में / मख़्मूर सईदी
- सर पर जो सायबाँ थे पिघलते हैं धूप में / मख़्मूर सईदी
- सुन सका कोई न जिस को वो सदा मेरी थी / मख़्मूर सईदी
- जल थल सहरा ख़ुश्क समुन्दर रखते थे / मख़्मूर सईदी
- चढ़ते दरिया से भी गर पार उतर जाओगे / मख़्मूर सईदी
नज़्में