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* [[दिल तो क्या रूहे-कब्ज़ को भी गर्मा गई / नक़्श लायलपुरी]]
 
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* [[लोग मुझे पागल कहते हैं गलियों में बाज़ारों में / नक़्श लायलपुरी]]
 
* [[लोग मुझे पागल कहते हैं गलियों में बाज़ारों में / नक़्श लायलपुरी]]
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* [[एक हंगामा सा बपा देखा / नक़्श लायलपुरी]]

02:25, 4 दिसम्बर 2017 का अवतरण

तेरी गली की तरफ़
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रचनाकार नक़्श लायलपुरी
प्रकाशक
वर्ष 2015
भाषा उर्दू व हिन्दी
विषय नज़्में
विधा ग़ज़लें
पृष्ठ
ISBN
विविध
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