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क्यूँ सरमाँ मरै मिनख
 
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रचना: महावीर जोशी पुलासर -सरदारशहर
 
रचना: महावीर जोशी पुलासर -सरदारशहर
  

11:35, 1 मई 2020 का अवतरण

प्रिय महावीर जोशी पूलासर, कविता कोश पर आपका स्वागत है!

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कविता कोश हिन्दी काव्य को अंतरजाल पर स्थापित करने का एक स्वयंसेवी प्रयास है। इस कोश को आप कैसे प्रयोग कर सकते हैं और इसकी वृद्धि में आप किस तरह योगदान दे सकते हैं इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सूचनायें नीचे दी जा रही हैं। इन्हे कृपया ध्यानपूर्वक पढ़े।

  • यदि आप अपनी स्वयं की रचनाएँ कोश में जोड़ना चाहते हैं तो ऐसा करने के लिये आपको एक निश्चित प्रक्रिया के तहत आवेदन करना होगा। यह प्रक्रिया जानने के लिये देखें: नये नाम जोड़ने की प्रक्रिया। कृपया अपने सदस्य पन्ने पर अपनी रचनाएँ ना जोड़े -क्योंकि इस तरह जोड़ी गयी रचनाओं को हटा दिया जाएगा।

  • कविता कोश में आप स्वयं पहले से मौजूद किसी भी कविता कोश बदल सकते हैं या फिर नयी कवितायें जोड़ सकते हैं। कविता कोश का संचालन कविता कोश टीम नामक एक समूह करता है। रचनाकारों की सूची जैसे पन्ने केवल इस टीम के सदस्यों के द्वारा ही बदले जा सकते हैं।

  • यदि आप कोश में पहले से मौजूद रचनाओं में कोई ग़लती पाते हैं, जैसे कि वर्तनी की ग़लतियाँ (Spelling mistakes), तो कृपया उन ग़लतियों को सुधार दें। ऐसा करने के लिये हर पन्ने के ऊपर बदलें लिंक दिया गया है।

  • अगर आप यूनिकोड के अलावा किसी दूसरे हिन्दी फ़ॉन्ट (जैसे शुषा, कृति इत्यादि) में टाइप करना जानते हैं तो भी आप उस फ़ॉन्ट में रचनाएँ टाइप कर kavitakosh@gmail.com पर भेज सकते हैं। इन रचनाओं को यूनिकोड में बदल कर कविता कोश में जोड़ दिया जाएगा। लेकिन सबसे बढिया यही रहेगा कि आप हिन्दी यूनिकोड में टाइप करना सीख लें, यह बहुत आसान है!
  • यदि आप कोई वैबसाइट या ब्लॉग चलाते हैं -तो आप उस पर कविता कोश का लिंक दे कर कोश को अधिक से अधिक लोगो तक पहुँचाने में मदद कर सकते हैं। कविता कोश का लिंक है http://kavitakosh.org

  • अगर आप ग्राफ़िक डिज़ाइनिंग कर सकते हैं या आप विकि में बहुत अच्छी तरह काम करना जानते हैं तो आप कोश के लिये ग्राफ़िक्स इत्यादि बना सकते हैं और इसके रूप-रंग को और भी बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

  • आप दूसरे लोगो को कविता कोश के बारे में बता कर इसके प्रसार में मदद कर सकते हैं। जितने अधिक लोग कविता कोश के बारे में जानेंगे उतना ही अधिक योगदान कोश में हो सकेगा और कोश तीव्रता से प्रगति करेगा।

क्यूँ जी सोरो करै मिनख

परायै घरां गी बाताँ

सुण सुण गे

जकी बा दुसराँ गै

घरां मे होवण लाग री है

बा ही तो तेरे घर मे हुवै

तुं भींत रै चिप्योड़ो इनै

बो भी तो बिने

चिप्योड़ो खड़यौ है

क्यूँ कोनी सोचे तूं कै

भीँता गै भी कान होवै

आज तुं सुणसी बिंगी

काल बो तेरी सुणसी

क्यूँ सरमाँ मरै मिनख

मोरियो पगाँ कानी देख गै रोवै

रचना: महावीर जोशी पुलासर -सरदारशहर

ये केसा संसार है

यॆ कॆसा ससार है,

गरीब यहा लाचार है,

कुछ लॊगॊ कॆ पास है हीरॆ,

कुछ रॊटी बिन बिमार है,

कहतॆ धरती मा सबकी फिर भॆद क्यु बॆसुमार है,

ममता तॆरी तु है मा फिर माता क्यु लाचार है,

सुनॆ पडॆ है महल यहा फुटपाथॊ पर भरमार है,

कुछ बन गयॆ ताज यहा,

कुछ दानॆ कॊ मॊहताज है,

खुस यहा है पैसॆ सॆ सब,

भुखॊ सॆ नाराज है,

यॆ कॆसा ससार है,

गरीब यहा लाचार है

रचना... महावीर जोशी पूलासर

आपका आवेदन

महावीर जी, कविता कोश के लिए आपका आवेदन विचाराधीन है। कृपया निर्णय की प्रतीक्षा करें। बिना कविता कोश टीम की अनुमति के आप जो भी रचनाएँ कोश में जोड़ेंगे उन तक पाठक नहीं पहुँच पाएंगे। अत: आपसे प्रार्थना है कि आप धैर्य रखें।

पुराणी_तस्वीर

कागज पर असीर बन जाती है उम्र की एक कब्र कुरेदता हूँ जब भी उसको पूछती है ...... उस्ताद मुझे कैद कर आजाद रहने वाले ...तुम्हारी ताब-ऐ-तासीर तबाह क्यूँ है ? उम्र के ......... किस पड़ाव पर हो ?