भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक अँजुरी धूप / यतींद्रनाथ राही" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यतींद्रनाथ राही |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Arti Singh (चर्चा | योगदान) छो |
||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
एक आहट पाँव | एक आहट पाँव | ||
चाँदनी में घुल गयी वह | चाँदनी में घुल गयी वह | ||
− | एक | + | एक क्षण की छाँव |
एक पल की बात गूँगी | एक पल की बात गूँगी | ||
कल्पशत आभास। | कल्पशत आभास। | ||
− | एक | + | एक क्षण |
स्पर्श कोमल | स्पर्श कोमल | ||
बज उठे तन-तन्त्र | बज उठे तन-तन्त्र | ||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
एक शब्दातीत विस्मृति | एक शब्दातीत विस्मृति | ||
पलक भर संयोग | पलक भर संयोग | ||
− | एक | + | एक क्षण का डूबना |
सौ जन्म का सुख-भोग | सौ जन्म का सुख-भोग | ||
एक | एक |
04:52, 6 दिसम्बर 2021 के समय का अवतरण
एक अँजुरी धूप आँगन
भर गया उल्लास
एक पँखुरी मुस्कराई
लिख गयी मधुमास।
लहर मचली
ज्वार उमड़े
एक आहट पाँव
चाँदनी में घुल गयी वह
एक क्षण की छाँव
एक पल की बात गूँगी
कल्पशत आभास।
एक क्षण
स्पर्श कोमल
बज उठे तन-तन्त्र
एक स्वर वंशी निनादित
सोम का अभिमन्त्र
एक झुकते पलक
सिमटे
आक्षितिज आकाश।
एक शब्दातीत विस्मृति
पलक भर संयोग
एक क्षण का डूबना
सौ जन्म का सुख-भोग
एक
अमृत बूँद पावन
मुक्ति का विश्वास।