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"ख़्वाब इन आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाये / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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मुंतज़िर फूल में ख़ुश्बू की तरह हूँ कब से
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कोई झोंकें की तरह आये उड़ा कर ले जाये
  
ख़्वाब इस आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाये <br>
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ये भी पानी है मगर आँखों का ऐसा पानी
क़ब्र के सूखे हुये फूल उठा कर ले जाये <br><br>
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जो हथेली पे रची मेहंदी उड़ा कर ले जाये
  
मुंतज़िर फूल में ख़ुश्बू की तरह हूँ कब से <br>
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मैं मोहब्बत से महकता हुआ ख़त हूँ मुझ को
कोई झोंकें की तरह आये उड़ा कर ले जाये <br><br>
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ज़िन्दगी अपनी किताबों में दबा कर ले जाये
  
ये भी पानी है मगर आँखों का ऐसा पानी <br>
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ख़ाक इंसाफ़ है नाबीना बुतों के आगे
जो हथेली पे रची मेहंदी उड़ा कर ले जाये <br><br>
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रात थाली में चिराग़ों को सजा कर ले जाये
  
मैं मोहब्बत से महकता हुआ ख़त हूँ मुझ को <br>
 
ज़िन्दगी अपनी किताबों में दबा कर ले जाये <br><br>
 
  
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मुंतज़िर=जो किसी के इंतज़ार में हो ; नाबीना=नेत्रहीन
रात थाली में चिराग़ों को सजा कर ले जाये <br><br><br>
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मुंतज़िर=जो किसी के इंतज़ार में हो ; नाबीना=नेत्रहीन<br><br>
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00:09, 10 फ़रवरी 2009 का अवतरण

ख़्वाब इस आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाये
क़ब्र के सूखे हुये फूल उठा कर ले जाये

मुंतज़िर फूल में ख़ुश्बू की तरह हूँ कब से
कोई झोंकें की तरह आये उड़ा कर ले जाये

ये भी पानी है मगर आँखों का ऐसा पानी
जो हथेली पे रची मेहंदी उड़ा कर ले जाये

मैं मोहब्बत से महकता हुआ ख़त हूँ मुझ को
ज़िन्दगी अपनी किताबों में दबा कर ले जाये

ख़ाक इंसाफ़ है नाबीना बुतों के आगे
रात थाली में चिराग़ों को सजा कर ले जाये


मुंतज़िर=जो किसी के इंतज़ार में हो ; नाबीना=नेत्रहीन