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"वही ताज है वही तख़्त है / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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ये वही ख़ुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है
  
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बड़े शौक़ से मेरा घर जला कोई आँच न तुझपे आयेगी
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ये ज़ुबाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है
  
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है <br>
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मैं ये मानता हूँ मेरे दिये तेरी आँधियोँ ने बुझा दिये
ये वही ख़ुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है<br><br>
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मगर इक जुगनू हवाओं में अभी रौशनी का इमाम है
 
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ये ज़ुबाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है <br><br>
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मैं ये मानता हूँ मेरे दिये तेरी आँधियोँ ने बुझा दिये <br>
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मगर इक जुगनू हवाओं में अभी रौशनी का इमाम है <br><br>
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16:05, 14 फ़रवरी 2009 का अवतरण

वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
ये वही ख़ुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है

बड़े शौक़ से मेरा घर जला कोई आँच न तुझपे आयेगी
ये ज़ुबाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है

मैं ये मानता हूँ मेरे दिये तेरी आँधियोँ ने बुझा दिये
मगर इक जुगनू हवाओं में अभी रौशनी का इमाम है