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जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। (24 मात्राएं)<br><br> | जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। (24 मात्राएं)<br><br> | ||
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14:41, 18 अप्रैल 2009 का अवतरण
दोहा छन्द के पहले तीसरे चरण में 13 मात्रायें और दूसरे–चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। विषय (पहले तीसरे) चरणों के आरम्भ जगण नहीं होना चाहिये और सम (दूसरे–चौथे) चरणों अन्त में लघु होना चाहिये।
उदाहरण –
मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। (24 मात्राएं)
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