भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इस तरह हर ग़म भुलाया कीजिये / हसरत जयपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[हसरत जयपुरी]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:गज़ल]]
+
|रचनाकार=हसरत जयपुरी
[[Category:हसरत जयपुरी]]
+
|संग्रह=
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
 
+
 
इस तरह हर ग़म भुलाया कीजिये <br>
 
इस तरह हर ग़म भुलाया कीजिये <br>
 
रोज़ मैख़ाने में आया कीजिये <br><br>
 
रोज़ मैख़ाने में आया कीजिये <br><br>

14:40, 8 मई 2009 का अवतरण

इस तरह हर ग़म भुलाया कीजिये
रोज़ मैख़ाने में आया कीजिये

छोड़ भी दीजिये तकल्लुफ़ शेख़ जी
जब भी आयें पी के जाया कीजिये

ज़िंदगी भर फिर न उतेरेगा नशा
इन शराबों में नहाया कीजिये

ऐ हसीनों ये गुज़ारिश है मेरी
अपने हाथों से पिलाया कीजिये