भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हम रातों को उठ उठ के / हसरत जयपुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) (New page: रचनाकार: हसरत जयपुरी Category:कविताएँ Category:गज़ल Category:हसरत जयपुरी ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=हसरत जयपुरी | |
− | + | |संग्रह= | |
− | + | }} | |
− | + | ||
− | + | ||
हम रातों को उठ उठ के जिन के लिये रोते हैं <br> | हम रातों को उठ उठ के जिन के लिये रोते हैं <br> | ||
वो ग़ैर की बाहों में आराम से सोते हैं <br><br> | वो ग़ैर की बाहों में आराम से सोते हैं <br><br> |
14:42, 8 मई 2009 का अवतरण
हम रातों को उठ उठ के जिन के लिये रोते हैं
वो ग़ैर की बाहों में आराम से सोते हैं
हम अश्क जुदाई के गिरने ही नहीं देते
बेचैन सी पलओं में मोती से पिरोते हैं
होता चला आया है बेदर्द ज़माने में
सच्चाई की राहों में काँटे सभी बोतें हैं
अंदज़-ए-सितम उन का देखे तो कोई "हसरत"
मिलने को तो मिलते हैं नश्तर से चुभोते हैं