भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जिस मोड़ पर किये थे / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
− | [[Category: | + | |रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर |
− | + | }} | |
− | + | [[Category:ग़ज़ल]] | |
− | + | ||
जिस मोड़ पर किये थे हम इंतज़ार बरसों <br> | जिस मोड़ पर किये थे हम इंतज़ार बरसों <br> |
16:36, 24 मई 2009 का अवतरण
जिस मोड़ पर किये थे हम इंतज़ार बरसों
उससे लिपट के रोए दीवानावार बरसों
तुम गुलसिताँ से आये ज़िक्र-ए-ख़िज़ाँ ही लाये
हमने कफ़स में देखी फ़स्ल-ए-बहार बरसों
होती रही है यूँ तो बरसात आँसूओं की
उठते रहे हैं फिर भी दिल से ग़ुबार बरसों
वो संग-ए-दिल था कोई बेगाना-ए-वफ़ा था
करते रहें हैं जिसका हम इंतज़ार बरसों