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"विनयावली / तुलसीदास / पृष्ठ 14" के अवतरणों में अंतर

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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 131 से 140 तक / पृष्ठ 7]]
'''पद 131 से 140 तक'''
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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 131 से 140 तक / पृष्ठ 8]]
 
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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 131 से 140 तक / पृष्ठ 9]]
(131)
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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 131 से 140 तक / पृष्ठ 10]]
 
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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 131 से 140 तक / पृष्ठ 11]]
पावन प्रेम राम-चरन-कमल जनम लाहु परम।
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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 131 से 140 तक / पृष्ठ 12]]
 
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रामनाम लेत होत, सुलभ सकल धरम।
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जोग, मख, बिबेक, बिरत , बेद-बिदित करम।
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करिबै कहँ कटु कठोर, सुनत मधुर, नरम।
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तुलसी सुनि, जानि-बूझि, भूलहि जानि भरम।
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तेहि प्रभुको होहि, जाहि सब ही की सरम।।
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21:48, 16 जून 2012 के समय का अवतरण