भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नज़र लखनवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
*[[कोई मुझ-सा मुस्तहक़े-रहमो-ग़मख़्वारी नहीं / नज़र लखनवी]] | *[[कोई मुझ-सा मुस्तहक़े-रहमो-ग़मख़्वारी नहीं / नज़र लखनवी]] | ||
*[[वो एक तुम कि सरापा बहारो-नाज़शे-गुल / नज़र लखनवी]] | *[[वो एक तुम कि सरापा बहारो-नाज़शे-गुल / नज़र लखनवी]] | ||
− | *[[सोज़ाँ ग़मे-जावेद से दिल भी है जिगर भी/नज़र लखनवी]] | + | *[[सोज़ाँ ग़मे-जावेद से दिल भी है जिगर भी/ नज़र लखनवी]] |
*[[मेरी सूरत देख कर क्यूँ तुमने ठंडी सांस ली /नज़र लखनवी]] | *[[मेरी सूरत देख कर क्यूँ तुमने ठंडी सांस ली /नज़र लखनवी]] | ||
*[[सिवादे-शामे-ग़म से रूह थर्राती है क़ालिब में /नज़र लखनवी]] | *[[सिवादे-शामे-ग़म से रूह थर्राती है क़ालिब में /नज़र लखनवी]] |
21:00, 8 सितम्बर 2009 का अवतरण
- अभी मरना बहुत दुश्वार है ग़म की कशाकश से / नज़र लखनवी
- सुन लो कि मर्गे-महफ़िल कुछ मौतबर नहीं है / नज़र लखनवी
- कोई मुझ-सा मुस्तहक़े-रहमो-ग़मख़्वारी नहीं / नज़र लखनवी
- वो एक तुम कि सरापा बहारो-नाज़शे-गुल / नज़र लखनवी
- सोज़ाँ ग़मे-जावेद से दिल भी है जिगर भी/ नज़र लखनवी
- मेरी सूरत देख कर क्यूँ तुमने ठंडी सांस ली /नज़र लखनवी
- सिवादे-शामे-ग़म से रूह थर्राती है क़ालिब में /नज़र लखनवी