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"सैर / शरद कोकास" के अवतरणों में अंतर

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00:08, 1 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

डूबते सूरज ने
ज़िन्दगी से पूछा
मैं तो चला
तुम क्या करोगी अब

क्या चाँद से बातें करते हुए
हवा के पंखों पर सवार
बादलों की डोली में
निकलोगी सैर के लिए

अरमान अपनी जगह
अपनी जगह इच्छाएँ
बुझे हुए चूल्हे की हँसी
अपनी जगह।

-1996