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"दौड़ / शरद कोकास" के अवतरणों में अंतर
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00:09, 1 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
मनुष्य की जन्मजात प्रवृत्ति नहीं है यह
फिर भी कुछ लोगों ने
जन्म लेते ही दौड़ना शुरू किया
कुछ लोगों ने सहारा लिया और चलने लगे
चलते चलते उन्हें लगा अब दौड़ना चाहिए
जहाँ हर कोई दौड़ रहा हो
वहाँ एक जगह खड़े रहना
वर्तमान से असहमति माना जा सकता है
दौड़ना उनके संस्कारों में शामिल नहीं था
सो वे लड़खड़ाए
गिर पड़े हाँफते-हाँफते
फिर उठे और दौड़ने लगे
उन्हें दौड़ता देख मैं भी दौड़ा
हालाँकि दौड़ में मैं सबसे पीछे था
कोई नई बात नहीं थी यह
पर खरगोश और कछुए की कहानी
मैंने सुन रखी थी।
-1997
 
	
	

