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"द्वादश इमामों की स्तुति / रसलीन" के अवतरणों में अंतर
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आदि दै अली पुनि हसन कों जस सुनि,
जाहिर हुसैन गुनि जाने खासो आम के।
पुन जैन आबदीन बाकर महाप्रबीन,
जाफर से हैं अमीन काजिम कलाम के।
अली रजा के समान तकी अली नकी जान,
अकसरी तें बखान मेंहदी तमाम के।
दूर कै सकल काम ध्यान धरि आठो जाम,
जपत हौं सदा नाम द्वादस इमाम के॥11॥