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"हर हिटलर / नाथ कवि" के अवतरणों में अंतर

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17:13, 18 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

हर पालत हर सृजत हैं, हर कर्त्ता संहार।
या कलियुग के बीच में, हर हिटलर अवतार॥
हर हिटलर अवतार, युगन ऐसी चल आई।
जब अवनी पै बढ़ें पाप प्रगटे तहाँ जाई॥
जलचर थलचर यान सो करत अनौखी मार है।
जो जीते या समर को तौ निश्चय अवतार है॥