भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खेमटा 2 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:00, 20 मई 2018 के समय का अवतरण

गोरे चमड़े की चकती चलाओ बचा॥टे।॥
इन गोरे गुलगुल गालन पर लखन लोग लुभाओ बचा।
नाक छेदि नकछेद अहिर की बाबू लाल बुलाओ बचा।
माजी को माई देकर बबुआजी को बिलमाओ बचा।
मन्नू लाल बहादुर मल बुढ़वन को काहे सताओ बचा।