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(कविता कोश में वार्तालाप: नया विभाग)
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मैं भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित इस कृति का अनुवाद यहां टंकित करुंगा | साभार ।
 
मैं भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित इस कृति का अनुवाद यहां टंकित करुंगा | साभार ।
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== कविता कोश में वार्तालाप ==
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नमस्कार,
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कविता कोश में सदस्यों के बीच वार्तालाप को सुचारु बनाने के उद्देशय से मैनें एक लेख लिखा है। कृपया इसे पढ़ें और इसके अनुसार कोश में उपलबध वार्तालाप सुविधाओं का प्रयोग करें। हो सकता है कि आप इन सुविधाओं का प्रयोग पहले से करते रहें हों -फिर भी आपको यह लेख पूरा पढ़ना चाहिये ताकि यदि आपको किसी सुविधा के बारे में पता नहं है या आप इन सुविधाओं का प्रयोग करने में कोई त्रुटि कर रहे हैं तो आपको उचित जानकारी मिल सके।
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यह लेख ''[[सदस्य वार्ता और चौपाल का प्रयोग]]'' नाम से उपलब्ध है।
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शुभाकांक्षी

21:40, 26 सितम्बर 2009 का अवतरण

हिमांशु,

आपने वेरा, उन सपनों की कथा कहो! / आलोक श्रीवास्तव-२ नामक एक संग्रह कविता कोश में जोड़ना आरंभ किया है। इसे ठीक से जोड़ने से संबंधित कुछ बातें आपको बतानी हैं। कृपया मुझे बताये कि आपसे कैसे बात की जा सकती है। मैं GTalk, Yahoo Messenger, MSN/Live Messenger, Skype इत्यादि किसी का भी प्रयोग कर सकता हूँ।

शुभाकांक्षी

--सम्यक ०८:१८, १५ फरवरी २००९ (UTC)

आपकी रचनाएँ

हिमांशु,

आप अपनी तकरीबन कितनी रचनाएँ कोश में जोड़ेंगे? यदि आप १०० - २०० या इससे अधिक रचनाएँ जोड़ेंगे तो आपका तुकान्त और अतुकान्त रचनाओं के लिये अलग-अलग पन्ने बना ठीक है। अन्यथा आप अपनी सभी रचनाएँ अपने मुखपृष्ठ पर ही जोड़ें।

"/" के दोनों ओर कृपया एक-एक स्पेस दें... इससे रचना का शीर्षक पढ़ने में आसानी होती है।

शुभाकांक्षी

--सम्यक १२:३९, ५ मई २००९ (UTC)

मेरी रचनाओं से सम्बन्धित

आदरणीय, मैंने यह दो पन्ने दो प्रकार की कविताओं को अलग-अलग वर्गीकृत रूप में रखने के लिये बनाये हैं । इन दोनों प्रकार की रचनाओं की संवेदना पूर्णतया भिन्न होना भी इनके वर्गीकरण का कारण है । एक साथ मैं सैकड़ो कवितायें तो न जोड़ सकूँगा, पर फिर भी दोनो श्रेणियों मे संतोषजनक संख्या तो इन कविताओं की है है ।

कविता कोश में अपने योगदान के प्रति सजग हूँ । अन्य कविओं की रचनायें भी क्रमशः जोड़ने का प्रयास करता रहूँगा । जिस प्रकार का इंगित कविता कोश प्रदान करे उसी लीक पर चलने की मंशा के साथ मैं नवीन निर्देशों के लिये प्रतीक्षित हूँ । साभार ।

हिमांशु पाण्डेय






हिमांशु,

कविता कोश एक बहुत विशाल खजाना है। इसमें कविता जितनी नीचे दबी होगी -पाठक का उस तक पँहुचना उतना ही मुश्किल होगा। आप चाहें तो तुकांत और अतुकांत कविताओं के लिये अलग-अलग पन्नें बना सकते हैं -लेकिन ऐसा करने से पाठक को आपकी किसी भी रचना तक पँहुचने के लिये एक क्लिक अधिक करना होगा। यदि आप इन दोनो तरह की रचनाओं को अलग-अलग दिखाना चाहते हैं तो शायद बेहतर तरीका ये हो कि आप अपने मुखपृष्ठ पर ही दो विभाग बना लें। जैसे कि:

तुकान्त रचनाएँ

तुकान्त कविता १
तुकान्त कविता २
तुकान्त कविता ३
तुकान्त कविता ४

अतुकान्त रचनाएँ

अतुकान्त कविता १
अतुकान्त कविता २
अतुकान्त कविता ३
अतुकान्त कविता ४

ऐसा करने से आपकी तमाम रचनाओं के लिंक्स भी एक ही पन्ने पर रहेंगे और विभाजन भी हो जाएगा। बाद में यदि आपकी रचनाओं की यह सूची १०० - २०० की संख्या को पार कर जाये तब शायद दो अलग-अलग पन्ने बनाना बेहतर हो क्योंकि तब आपके किसी भी रचना को खोजने के लिये पाठक को आपका पन्ना काफ़ी नीचे तक स्क्रोल करना पड़ा करेगा और लम्बी सूची के कारणा पन्ने को लोड होने में भी १-२ सेकेंड शायद ज़्यादा लगेगा।

यह सब सुझाव हैं। कविता कोश में मैं भी आप ही की तरह एक योगदानकर्ता हूँ... आपको इनमें से जो तरीका उचित लगे -उसी को अपनायें।

शुभाकांक्षी

--सम्यक १३:२९, ५ मई २००९ (UTC)

आपकी विधिनुसार

आदरणीय, अपेक्षित संशोधन कर दिया है । छन्दबद्ध और छन्दमुक्त कविताओं को एक ही पृष्ठ पर जोड़ने का काम शुरु कर दिया है । तकनीकी जानकारी से न्यून हूँ, अतः समय समय पर निर्देशन लेता रहूँगा । सधन्यवाद । हिमांशु

नाम जोड़ने के सम्बंध में

आदरणीय, अनूदित रचनाओं के खण्ड में मलयालम भाषा की बहुप्रतिष्ठित कृति ’ ओट्क्कुष़ल’ (Otakkuzhal) जोड़ने का इच्छुक हूँ । वहाँ देखा तो इस कृति के रचनाकार जी० शंकर कुरुप का नाम ही नहीं है । तो मैं किस प्रकार इस कृति को जोड़ सकूँगा । अतः इसी कृति के लिये प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता श्री जी० शंकर कुरुप का नाम जोड़ने की कृपा करें |

मैं भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित इस कृति का अनुवाद यहां टंकित करुंगा | साभार ।

कविता कोश में वार्तालाप

नमस्कार,


कविता कोश में सदस्यों के बीच वार्तालाप को सुचारु बनाने के उद्देशय से मैनें एक लेख लिखा है। कृपया इसे पढ़ें और इसके अनुसार कोश में उपलबध वार्तालाप सुविधाओं का प्रयोग करें। हो सकता है कि आप इन सुविधाओं का प्रयोग पहले से करते रहें हों -फिर भी आपको यह लेख पूरा पढ़ना चाहिये ताकि यदि आपको किसी सुविधा के बारे में पता नहं है या आप इन सुविधाओं का प्रयोग करने में कोई त्रुटि कर रहे हैं तो आपको उचित जानकारी मिल सके।


यह लेख सदस्य वार्ता और चौपाल का प्रयोग नाम से उपलब्ध है।


शुभाकांक्षी