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खुली आँखों में सपना / परवीन शाकिर
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					खुली आँखों में सपना

| रचनाकार | परवीन शाकिर | 
|---|---|
| प्रकाशक | डायमण्ड पॉकेट बुक्स, नई दिल्ली | 
| वर्ष | 2005 | 
| भाषा | हिंदी | 
| विषय | |
| विधा | ग़ज़ल | 
| पृष्ठ | 173 | 
| ISBN | 81-288-0868-0 | 
| विविध | 
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- किसी की खोज में फिर खो गया कौन / परवीन शाकिर
 - खुली आँखों में सपना झांकता है / परवीन शाकिर
 - उसी तरह से हर इक ज़ख्म खुशनुमा मिले / परवीन शाकिर
 - ज़मीन से रह गया दूर आसमान कितना / परवीन शाकिर
 - पानियों-पानियों जब चाँद का हाला उतरा / परवीन शाकिर
 - बारिश हुई तो फूलों के तन चाक हो गए / परवीन शाकिर
 - सभी गुनाह धुल गए सजा ही और हो गई / परवीन शाकिर
 - जाने कब तक रहे ये तरतीब / परवीन शाकिर
 - टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या / परवीन शाकिर
 
	
	