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रचते गढ़ते / सुरेन्द्र स्निग्ध
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रचते गढ़ते
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रचनाकार | सुरेन्द्र स्निग्ध |
---|---|
प्रकाशक | किताब महल, 22-ए सरोज़नी नायडू मार्ग, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
वर्ष | 2008 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | मुक्त छन्द |
पृष्ठ | 94 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
”’ब्रह्माण्ड को रचते गढ़ते थक गई है माँ”’
- ब्रह्माण्ड की रचना / सुरेन्द्र स्निग्ध
- कोसी का कौमार्य / सुरेन्द्र स्निग्ध
- चरवाहा / सुरेन्द्र स्निग्ध
- देह में उगते मजबूत डैने / सुरेन्द्र स्निग्ध
”’गहरी नींद सुलाता है तुम्हारा नाम”’
- अन्तिम एकान्त / सुरेन्द्र स्निग्ध
- यात्रा का रहस्य / सुरेन्द्र स्निग्ध
- खोज / सुरेन्द्र स्निग्ध
- गहरी नींद के लिए अनन्त की ओर / सुरेन्द्र स्निग्ध
- / सुरेन्द्र स्निग्ध
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