भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अमिताभ त्रिपाठी ‘अमित’
Kavita Kosh से
अमिताभ त्रिपाठी
जन्म | 26 जनवरी 1960 |
---|---|
उपनाम | अमित |
जन्म स्थान | मुँगरा बादशाहपुर, जौनपुर, उत्तरप्रदेश (भारत) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
अमिताभ त्रिपाठी ‘अमित’ / परिचय |
ग़ज़लें <sort order="asc" class="ul">
- फ़िक्र आदत में ढल गई होगी / अमित
- हम अपने हक़ से जियादा नज़र नहीं रखते / अमित
- अपनी - अपनी सलीब ढोता है / अमित
- बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है / अमित
- किसी को महल देता है किसी को घर नहीं देता / अमित
- रोज़ जिम्मेदारियाँ बढ़ती गईं / अमित
- मत मंसूबे बाँध बटोही, सफर बड़ा बेढंगा है / अमित
- लिहाफ़ों की सिलाई खोलता है / अमित
- यूँ चम्पई रंगत प सिंदूरी निखार है / अमित
- याद का इक दिया सा जलता है। / अमित
- ये रवायत आम है क्यों मुँह छिपाया कीजिये / अमित
- आशिक यहाँ जुल्फ-ओ-लब-ओ-रुख़्सार बहुत हैं / अमित
- जीते क्या हैं, जी लेते हैं / अमित
- उम्र भर का ये कारोबार रहा / अमित
- जो मेरे दिल में रहा एक निशानी बनकर / अमित
- हालात से इस तरह परेशान हुये लोग / अमित
- जिसने आगे बढ़ कर छीना वे सज्जन श्रीमन्त हो गये / अमित
- सबको तुम अच्छा कहते हो, कानो को प्रियकर लगता है / अमित
- एक मासूम से ख़त पर बवाल कितना था / अमित
- बहुत सहज हो जाते के भी अपने ख़तरे हैं / अमित
- इक लम्हा ख़ुशी के लिये दुनिया सफ़र में है / अमित
</sort>
गीत <sort>
- अहम की ओढ़ कर चादर / अमित
- रात्रि के अंन्तिम प्रहर तक तुम न मुझसे दूर जाना / अमित
- स्मृति के वे चिह्न उभरते हैं कुछ उजले कुछ धुंधले-धुंधले / अमित
- कैसी हवा चली उपवन में सहसा कली-कली मुरझाई / अमित
- प्रीति अगर अवसर देती तो हमनें भाग्य संवारा होता / अमित
- पथ जीवन का पथरीला भी, सुरभित भी और सुरीला भी / अमित
- तुम मुझको उद्दीपन दे दो गीतों का उपवन दे दूँगा / अमित
- अपने-अपने अंधकार में जीते हैं / अमित
</sort>