हनीफ़ कैफ़ी
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जन्म | |
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जीवन परिचय | |
हनीफ़ कैफ़ी / परिचय |
ग़ज़लें
- आरज़ूएँ कमाल-आमादा / हनीफ़ कैफ़ी
- बना के तोड़ती है दाएरे चराग़ की लौ / हनीफ़ कैफ़ी
- बिखर के रेत हुए हैं वो ख़्वाब देखे हैं / हनीफ़ कैफ़ी
- है राह-रौ के हुए हादसात की दीवार / हनीफ़ कैफ़ी
- हर इक कमाल को देखा है हम ने रू ब-ज़वाल / हनीफ़ कैफ़ी
- की नज़र मैं ने जब एहसास के आईने में / हनीफ़ कैफ़ी
- तमाम आलम से मोड़ कर मुँह में अपने अंदर समा गया हूँ / हनीफ़ कैफ़ी
- थे मिरे ज़ख़्मों के आईने तमाम / हनीफ़ कैफ़ी