पद-रत्नाकर
रचनाकार | हनुमानप्रसाद पोद्दार |
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प्रकाशक | गीता-प्रेस |
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पद
- श्रीराधारानी-चरन बिनवौं बारंबार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बंदौं राधा-पद-कमल अमल सकल सुख-धाम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रसिक स्याम की जो सदा रसमय जीवनमूरि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बंदौं राधा-पद-रज पावन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिन लक्ष्मीकी रूप-माधुरी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिन श्रीराधा के करैं नित श्रीहरि गुन गान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्वामिनी हे बृषभानु-दुलारि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधा! अब देहु मोहि तव पद-रज-अनुराग / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करौ कृपा श्रीराधिका, बिनवौं बारंबार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दयामयि स्वामिनि परम उदार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधाजू! मोपै आजु ढरौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निन्द्य-नीच, पामर परम, इन्द्रिय-सुखके दास / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे राधे! हे श्याम-प्रियतमे! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम-स्वामिनी राधिके! करौ कृपा कौ दान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधा! कृष्णप्रिया! सकल सुमंगल-मूल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधामाधव-युगल महाभाव-रसराज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कृपा जो राधाजू की चहिए / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा-नयन-कटाक्ष-रूप चचल अचलसे नित्य व्यजित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जय वसुदेव-देवकीनन्दन, जयति यशोदा-नंदनन्दन / हनुमानप्रसाद पोद्दार