दिनेश कुमार स्वामी
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जन्म | |
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उपनाम | शबाब मेरठी |
जन्म स्थान | मेरठ, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी' / परिचय |
ग़ज़लें
- हादसा करने से पहले ही ये सोचा जाता/दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- मेरी ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया मुझे ज़िन्दगी से मिला दिया / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- क़फ़स में रात सुन रहे थे सिम्फ़नी बहार की/दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- भूख को कब तक तसल्ली से भला बहलाओगे/दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- सिर्फ़ टकराता है अब उसका अँधेरा मुझसे/दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- अब चटानों को तोड़ना होगा/दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- रात को घर की दरारों में छुपा रहता हूँ मैं/दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- मिरी आँखों पर बड़ी देर से घने आंसुओं का नक़ाब है/दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- बाहर देखो जून की गर्मी कितनी आग लगाती है/दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- शाम ढली सन्नाटा बिखरा गाँव में साँवली रात हुई / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- चाँदनी ओढ़कर पड़े रहिये / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- जब तलक चाँद पर कुछ जवानी रही / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- वो मेरे घर के पत्थरों को आइना बना गया / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- जिधर निगाह उठ गई उसी का अक्स बन गया / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- न्याय माँगा करता था कल जो दर-ब-दर बाबा / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- मिरी नज़र के आमने धुआँ-धुआँ-सा छा गया / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- अँधेरी शब में हवा से नज़र मिलाते हुए / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- ख़ूबी किसी के हुस्न की यूँ भी बयान हो गई / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- वो याद आता है जब याद आना होता है / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- जब चिनारों से धूप झरती है / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- किसी को दर्द किसी को दवा-सा लगता है / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- बदलियाँ जाने किस दयार में हैं / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- धूप का जो सर उतारे जाओगे / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- भूख का सिलसिला बताता है / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- हाय हम तश्ना-दहन दूर से क्या-क्या समझे / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- रक्खी गई है नींव जहाँ पर मकान की / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- कोई ग़ुस्सा नहीं बयान नहीं / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- कोई पत्ती हरी नहीं मिलती / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- सुबह को राशन लेने जाना शाम ढले घर आना बाबा / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- आदमी मर कर गिरा है रस्सियों की राह से / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- चोट भला कब तक सह पाते आख़िर तो झल्लाते ही / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- मैंने लौ रक्खी थी और उसने हवा रक्खी थी / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- कहीं तेरी परछाई खड़ी है कहीं तेरी अँगड़ाई है / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'
- कुछ इस तरह से हमने जवानी तबाह की / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'