रसखान
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जन्म | 1548 |
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निधन | 1628 |
उपनाम | रसखान |
जन्म स्थान | अमरोहा, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
प्रेमवाटिका, सुजान-रसखान | |
विविध | |
मूल नाम सैयद इब्राहिम। भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त। भक्तिकाल की कृष्णाश्रयी शाखा के महत्त्वपूर्ण कवि। वृंदावन में देहावसान। | |
जीवन परिचय | |
रसखान / परिचय | |
कविता कोश पता | |
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संग्रह
- प्रेमवाटिका / रसखान (दोहा-गुटका)
- सुजान-रसखान / रसखान
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- मानुस हौं तो वही / रसखान
- या लकुटी अरु कामरिया / रसखान
- सेस गनेस महेस दिनेस / रसखान
- धूरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान
- कानन दै अँगुरी रहिहौं / रसखान
- मोरपखा मुरली बनमाल / रसखान
- कर कानन कुंडल मोरपखा / रसखान
- मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं / रसखान
- गावैं गुनी गनिका गन्धर्व / रसखान
- संकर से सुर जाहिं जपैं / रसखान
- प्रान वही जु रहैं रिझि वापर / रसखान
- रसखान के दोहे / रसखान
- आवत है वन ते मनमोहन / रसखान
- जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन / रसखान
- बैन वही उनकौ गुन गाइ / रसखान
- सोहत है चँदवा सिर मोर को / रसखान
- कान्ह भये बस बाँसुरी के / रसखान
- नैन लख्यो जब कुंजन तैं / रसखान
- फागुन लाग्यौ सखि जब तें / रसखान
- मोहन हो-हो, हो-हो होरी / रसखान
- गोरी बाल थोरी वैस, लाल पै गुलाल मूठि / रसखान
- खेलत फाग सुहाग भरी / रसखान
- ब्रह्म मैं ढूँढयो पुराण गानन / रसखान
- जेहि बिनु जाने कछुहि नहिं / रसखान
- आयो हुतो नियरे रसखानि / रसखान
- आवत है बन ते मनमोहन / रसखान
- आगु गई हुति भोर ही हों रसखानि / रसखान
- गाई दहाई न या पे कहूँ / रसखान
- एक समै जमुना-जल में सब मज्जन हेत / रसखान
- अधर लगाइ रस प्याइ बाँसुरी बजाई / रसखान
- कीगै कहा जुपै लोग चवाब सदा / रसखान
- आज भटू मुरली बट के तट / रसखान
- आई सबै ब्रज गोपालजी ठिठकी / रसखान
- दानी नए भए माँबन दान सुनै / रसखान
- नो लख गाय सुनी हम नंद के / रसखान
- लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि / रसखान
- मोर के चंदन मोर बन्यौ दिन दूलह हे अली / रसखान
- आवत लाल गुलाल लिए मग / रसखान
- इक और किरीट बसे दुसरी दिसि / रसखान
- यह देखि धतूरे के पात चबात / रसखान
- बेद की औषद खाइ कछु न करै / रसखान
- कंचन मंदिर ऊँचे बनाई के / रसखान
- प्रेम अगम अनुपम अमित / रसखान