शाह मुबारक 'आबरू'
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| जन्म | 1683 |
|---|---|
| निधन | 1733 |
| उपनाम | आबरू |
| जन्म स्थान | दिल्ली |
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| विविध | |
| जीवन परिचय | |
| शाह मुबारक 'आबरू' / परिचय | |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- अफ़सोस है कि हम कूँ दिल-दार भूल जावे / शाह मुबारक 'आबरू'
- बढ़े है दिन-ब-दिन तुझ मुख की ताब / शाह मुबारक 'आबरू'
- जलते थे तुम कूँ देख के / शाह मुबारक 'आबरू'
- मगर तुम सीं हुआ है आशना दिल / शाह मुबारक 'आबरू'
- मत ग़ज़ब कर छोड़ दे ग़ुस्सा सजन / शाह मुबारक 'आबरू'
- फिरते थे दश्त दश्त दिवाने किधर गए / शाह मुबारक 'आबरू'
- रहता है अबरुवाँ पर हाथ अक्सर / शाह मुबारक 'आबरू'
- तुम्हारा दिल अगर हम सीं फिरा है / शाह मुबारक 'आबरू'
- उस ज़ुल्फ़-ए-जाँ कूँ सनम की बला कहो / शाह मुबारक 'आबरू'
- यार रूठा है हम सीं मनता नईं / शाह मुबारक 'आबरू'
