लेकिन यह गीत नहीं
रचनाकार | उद्भ्रान्त |
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प्रकाशक | राधाकृष्ण प्रकाशन प्रा०लि०, 2/38, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली-110002 |
वर्ष | 1997 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 112 |
ISBN | 81-7119-3064 |
विविध |
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लेकिन यह गीत नहीं
- बहुत दिनों बाद / उद्भ्रान्त
- महक रहा है कब से यह प्रतीक / उद्भ्रान्त
- सोने के पहाड़ / उद्भ्रान्त
- पूजाघर : 1 (एक जानवर) / उद्भ्रान्त
- पूजाघर : 2 (एक कत्लघर) / उद्भ्रान्त
- पूजाघर : 3 (एक नाचघर) / उद्भ्रान्त
- समय : 1 (जैसे कोई बुजुर्ग) / उद्भ्रान्त
- समय : 2 (काल-यात्री ओ !) / उद्भ्रान्त
- समय : 3 (मणि-सर्प) / उद्भ्रान्त
अग्नि-चक्र के भीतर
- स्फोट / उद्भ्रान्त
- उतर रहा है महानगर / उद्भ्रान्त
- शेष होती मौजूदा सदी पर : 1 (यह रक्त की नदी है) / उद्भ्रान्त
- शेष होती मौजूदा सदी पर : 2 (शून्य के इस खेत में) / उद्भ्रान्त
- शेष होती मौजूदा सदी पर : 3 (युद्धबंदी-सी काँप रही) / उद्भ्रान्त
- शेष होती मौजूदा सदी पर : 4 (ढहती यह गद्य की सदी) / उद्भ्रान्त
- जाम पियें / उद्भ्रान्त
- प्रतिध्वनियाँ / उद्भ्रान्त
- वक्तव्य एक बौद्धिक का (ज़ुबान काट रहा हूँ) / उद्भ्रान्त
अंधी गुफा के बीच
- दर्पण को तोड़ दें / उद्भ्रान्त
- इस आदिम जंगल से / उद्भ्रान्त
- कई दिनों से / उद्भ्रान्त
- एक अजनबी काला दर्द / उद्भ्रान्त
- वही लिखा / उद्भ्रान्त
- कविता बोल दें / उद्भ्रान्त
आँखें नम न कर
- बिंधी हुई मछली का गीत / उद्भ्रान्त
- एक तमाशा उर्फ बाजीगर का गीत / उद्भ्रान्त
- हँसती सुबह / उद्भ्रान्त
- माँझी गीत : 1 (अब चलना है) / उद्भ्रान्त
- माँझी गीत : 2 (किसी द्वीप में) / उद्भ्रान्त
- आँखें नम न कर / उद्भ्रान्त
मौन हैं हम-तुम
- प्रतीक्षा की समीक्षा / उद्भ्रान्त
- फिल्म उभरने लगी / उद्भ्रान्त
- एक उजला गीत / उद्भ्रान्त
- मौन है / उद्भ्रान्त
- मरुस्थल का बयान / उद्भ्रान्त
- एक बिम्ब / उद्भ्रान्त
- वक़्त की मुँडेरें / उद्भ्रान्त
- खोज कर रहा हूँ / उद्भ्रान्त
वक़्त की परछाइयाँ
- क्यों बाँध लिया ? / उद्भ्रान्त
- फूल अब नहीं हैं / उद्भ्रान्त
- दिन बीत गए / उद्भ्रान्त
- गीत कोहिनूर था / उदभ्रान्त
- फाड़ दिया यह सफ़ा / उद्भ्रान्त
- फ़सल वाली लोकधुन / उद्भ्रान्त
कोरे काग़ज हम