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बहुत भरमे इस सफ़र में / सुरेश सलिल

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बहुत भरमे इस सफ़र में

पूछ लो तुम शहर भर में


शोर था बेगानगी थी

गली कूचे में, डगर में


ख़ौफ़-सा कुछ काँपता था

हर कंगूरे की नज़र में


आइए तस्लीम कर लें

यह उदासी ही मेहर में


ग़ज़ल कहना बहुत मुश्किल

है सलिल छोटी बहर में


(रचनाकाल : 2001)