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'मुज़फ्फ़र' वारसी
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'मुज़फ्फ़र' वारसी
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जन्म | 20 दिसम्बर 1933 |
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निधन | 28 जनवरी 1911 |
उपनाम | 'मुज़फ्फ़र' |
जन्म स्थान | मेरठ, उत्तरप्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
बर्फ़ की नाव, ब़ाब-ए-हराम, लहू की हरियाली | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
'मुज़फ्फ़र' वारसी / परिचय |
- चाप आए के मुलाक़ात हो आवाज़े से / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- दीद-ए-संग में बीनाई कहाँ से आए / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- दिल हो हस्सास तो जीने में बहुत घाटा है / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- गहराइयों में ज़ेहन की गर्दाब सा रहा / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- कब निशाँ मेरा किसी को शब-ए-हस्ती में मिला / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- ख़ुद मेरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- कुछ ऐसा उतरा मैं उस संग-दिल के शीशे में / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- क्या भला मुझ को परखने का नतीजा निकला / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- लिया जो उस की निगाहों ने जाइज़ा मेरा / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- मेरी सोच मुझे किस रुतबे पर ले आई / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- नक़्श दिल पर कैसी कैसी सूरतों का रह गया / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- निखर सका न बदन चाँदनी में सोने से / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- फिर चाहे जितनी क़ामत ले कर आ जाना / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- ज़ख़्म-ए-दिल और हरा ख़ून-ए-तमन्ना से हुआ / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
- ज़िंदगी जिस पर हँसे ऐसी कोई ख़्वाहिश न की / 'मुज़फ्फ़र' वारसी