भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आक्टोपस और पेड़ / प्रताप सहगल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:14, 14 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रताप सहगल |अनुवादक= |संग्रह=अंध...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

समुद्र में फैला
आक्टोपस
निगल जाता है मासूम जानवर
या आदमी
जो भी उसकी गिरफ्त में आता है
आक्टोपस
पूरी बेरहमी से उसे निगल जाता है।
ज़मीन की गन्ध लेकर
अपनी जड़ें जब ज़मीन में गहरी जमाता है
आक्टोपस
तो वह
एक पेड़ में बदल जाता है।