ग़ज़लें
- आई थी उस तरफ़ जो हवा कौन ले गया / अफ़ज़ल गौहर राव
- अच्छा हुआ किनारा कटाव में आ गया / अफ़ज़ल गौहर राव
- चुप-चाप निकल आए थे सहरा की तरफ़ हम / अफ़ज़ल गौहर राव
- देर तक कोई किसी से बद-गुमाँ रहता नहीं / अफ़ज़ल गौहर राव
- हर आइने में तिरा ही धुआँ दिखाई दिया / अफ़ज़ल गौहर राव
- हिज्र में इतना ख़सारा तो नहीं हो सकता / अफ़ज़ल गौहर राव
- इसी लिए भी नए सफ़र से बंधे हुए हैं / अफ़ज़ल गौहर राव
- मैं अपनी ज़ात में जब से सितारा होने लगा / अफ़ज़ल गौहर राव
- मैं ख़ुद को इस लिए मंज़र पे लाने वाला नहीं / अफ़ज़ल गौहर राव
- नींद आई न खुला रात का बिस्तर मुझ से / अफ़ज़ल गौहर राव
- सब को बता रहा हूँ यही साफ़ साफ़ मैं / अफ़ज़ल गौहर राव
- शिकस्त खा के भी कब हौसले हैं कम मेरे / अफ़ज़ल गौहर राव
- तेरी दुनिया से ये दिल इस लिए घबराता है / अफ़ज़ल गौहर राव
- ये जो सूरज है ये सूरज भी कहाँ था पहले / अफ़ज़ल गौहर राव
- ज़मीं से आगे भला जाना कहाँ मैं ने / अफ़ज़ल गौहर राव