भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवते रहे तो फेर मिलांगे / दयाचंद मायना
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:09, 4 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दयाचंद मायना |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जीवते रहे ता फेर मिलांगे
इजाजत हो थारी अब हम चलांगे...टेक
प्यार की कहानी म्हारी समझैंगे प्यारे
प्यारां के मन एक हांे सैं तन न्यारे-न्यारे
बनके सितारे गगन मैं खिलांगे...
सृष्टि का ज्ञान हो सै प्यार की कहानी से
पाया है भेद हमने ऋषियों की वाणी से
भीगे ना पाणी से, ना अगन मैं जलांगे...
उम्र भर रहेगा प्यार म्हारे मन मैं
मिलते रहैंगे स्वप्न सपन मैं
संसारी चमन मैं फूला फलांगे...
दयाचन्द तेरा छन्द मारूती
गुरु जी का ज्ञान हो सै सारी मजबूती
प्यार की भभूती अंग मैं मलांगे...।